मोतीपुर बैंक डकैती में पुलिस की गलती से दो कुख्यात बरी
मुजफ्फरपुर, मोतीपुर के ब्रह्मपुरा गांव स्थित उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में हुई डकैती के मामले में पुलिस की गलती के कारण दो कुख्यात बरी हो गए। कटरा के बकुची निवासी ललन पासवान और दरभंगा के बिशुनपुर थाना के बघला निवासी आनंद पाठक को अपर जिला सत्र न्यायाधीश नमिता सिंह के कोर्ट से बीते दो सितंबर को बरी किया गया। इसमें स्पष्ट किया है कि बैंक डकैती कांड के आईओ और सूचक बैंक मैनेजर की गवाही न्यायालय में नहीं कराई गई। पुलिस ने न्यायालय में घटनास्थल से जब्त प्रदर्श भी प्रस्तुत नहीं किया। इस कारण दोनों आरोपित बरी हो गए।बता दें कि बरी हुए ललन का नक्सली इतिहास रहा है। वह डकैती और हत्या के कांडों में भी आरोपित रहा है। आरोपितों के बरी होने के कारण इस कांड में फैसले की प्रति डीएम कार्यालय को भी भेजी गई है। अब जिला प्रशासन की विधिक कमेटी इसकी समीक्षा करेगी। इसमें गवाही नहीं देने वाले पुलिस व बैंक मैनेजर पर कार्रवाई के लिए विधिक कमेटी अनुशंसा कर सकती है। नए प्रावधान के तहत यदि सरकारी कर्मी गवाही में पक्षद्रोही होता है या उसकी गलती से कांड में आरोपित बरी होता है तो उक्त सरकारी कर्मी पर विभागीय कार्रवाई होगी। घटना के अपर लोक अभियोजक अमिताभ गुप्ता ने मामले में तीन गवाहों का बयान कराया। उन्होंने बताया कि घटना 19 सितंबर 2008 की है। तत्कालीन बैंक मैनेजर सदर थाना के भगवानपुर निवासी यतीश कुमार वर्मा के बयान पर एफआईआर दर्ज हुई थी। इसमें बताया गया है कि 19 सितंबर 2008 को बैंक में करीब एक बजे दो अपराधी घुसे और पिस्तौल तान कर लूटपाट करने लगे। वहीं, उसके तीन साथी बैंक के बाहर ही थे। इस दौरान मौके पर पुलिस की गश्ती टीम आ गई। पुलिस और अपराधियों में गोलीबारी होने लगी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में बैंक में लूटपाट कर रहे दो अपराधियों को गोली लगी। दोनों बैंक में ही ढेर हो गए थे। बाहर में मौजूद उसके तीन शातिर साथी फरार हो गए। पुलिस की जांच में फरार होने वाले तीन शातिरों में दो की पहचान ललन पासवान और आनंद पाठक के रूप में हुई। दोनों को पुलिस ने बैंक लूट कांड में चार अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया था। दोनों पर पुलिस ने 30 दिसंबर 2008 को चार्जशीट दाखिल की थी।











