जनगणना 2027 के पूर्व-परीक्षण हेतु डुमरा, सीतामढ़ी में तीन दिवसीय क्षेत्र प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न
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बिहार संपादक डॉ राहुल कुमार द्विवेदी की रिपोर्ट


सीतामढ़ी, 20 नवम्बर 2025
भारत की पहली पूर्णतः डिजिटल जनगणना की तैयारी के अंतर्गत जनगणना 2027 के पूर्व परीक्षण (Pre-Test) चरण–1: मकान सूचीकरण एवं मकानों की गणना हेतु डुमरा, सीतामढ़ी में आयोजित तीन दिवसीय क्षेत्र प्रशिक्षण कार्यक्रम (17–19 नवम्बर 2025) का सफलतापूर्वक समापन हुआ। कार्यक्रम का आयोजन जनगणना कार्य निदेशालय, बिहार द्वारा किया गया।
प्रशिक्षण के तीसरे दिन निदेशक, जनगणना कार्य निदेशालय बिहार, श्री एम. रामचंद्रुडु, आई.ए.एस. तथा जिलाधिकारी, सीतामढ़ी श्री रिची पांडे द्वारा प्रशिक्षण सत्र का निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर सहायक निदेशक श्री रवि रंजन एवं सहायक निदेशक श्री अंगद सिंह एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री अभिषेक चंदन एवं सहायक भी उपस्थित रहे।
निदेशक महोदय ने संबोधन में कहा कि जनगणना राष्ट्रीय नीतियों, योजनाओं एवं संसाधनों के वैज्ञानिक आवंटन की आधारशिला है, अतः इसकी सटीकता और डेटा की गुणवत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रगणकों एवं पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त ज्ञान को क्षेत्रीय कार्य में पूर्ण निष्ठा एवं सावधानी से लागू करने के लिए प्रेरित किया।
डिजिटल जनगणना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को पूर्व-परीक्षण हेतु तैयार की गई आधिकारिक निर्देश पुस्तिका (Instructions Manual) उपलब्ध कराई गई तथा HLO (House Listing Operation) एप, DLM (Digital Layout Map) एप, तथा HLB Wave Creator के प्रयोग पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।
डिजिटल पद्धति का आधार—संरचनाओं का जियो-टैगिंग, मैप जनरेशन, और HLO एप के माध्यम से मकान-सूचीकरण के आंकड़ों की प्रविष्टि—का प्रायोगिक अभ्यास भी कराया गया।
तीन दिनों का प्रशिक्षण—मुख्य झलक
पहला दिन:
मकान सूचीकरण की मूल अवधारणाओं, HL अनुसूची, DLM एप के प्रयोग, लेआउट मैप निर्माण और जियो-टैगिंग प्रक्रिया पर केंद्रित रहा। प्रतिभागियों को वास्तविक उदाहरणों के साथ मैप निर्माण का अभ्यास कराया गया।
दूसरा दिन:
HLO प्रश्नावली के Q1 से Q34 तक का अभ्यास, HLO मोबाइल एप का डेमो, और एप-आधारित प्रायोगिक कार्य कराया गया।
तीसरा दिन:
Self-Enumeration प्रक्रिया, पर्यवेक्षक एप का उपयोग, मोबाइल एप से संबंधित समस्याओं के समाधान, SOP अनुपालन, तथा परिवारों से संवाद के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया गया। अंतिम सत्र में मूल्यांकन एवं प्रतिपुष्टि ली गई।












