उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ लोक आस्था का महापर्व, नौतन के सभी गांवों में रही धूम
नौतन से फिरोज अंसारी की रिपोर्ट

नौतन प्रखंड क्षेत्र के सभी गांवों में लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ भव्य रूप से संपन्न हो गया। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में पूरे क्षेत्र के गांवों में धूम मची रही। सूर्योपासना की इस प्राचीन परंपरा ने एक बार फिर से सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर दिया। छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से हुई, जिसमें व्रती महिलाओं ने पवित्र स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण किया। दूसरे दिन खरना में गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद तैयार किया गया। तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए गांवों के घाटों पर हजारों श्रद्धालु जुटे। नौतन प्रखंड के प्रमुख गांवों जैसे जगदीशपुर, सिसवां, बसदेवा, ताली, विशुनपुरा, पिपरा और आसपास के दर्जनों गांवों में तालाबों, नदियों और नवनिर्मित घाटों पर विशेष व्यवस्था की गई थी। महिलाएं ठेकुआ, फल और गन्ने की टोकरी सजाकर घाट पहुंचीं। रात भर जागरण और लोकगीतों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया। चौथे दिन सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने का मुख्य अनुष्ठान संपन्न हुआ। सूर्योदय से पहले ही घाटों पर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गईं। बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी ने एक साथ सूर्य देव को दूध, जल और फल अर्पित किए। नौतन बाजार से लेकर ग्रामीण इलाकों तक प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। कई जगहों पर स्वयंसेवी संगठनों द्वारा पानी, चाय और प्रसाद की व्यवस्था की गई थी। इस पर्व में महिलाओं की प्रधानता रहती है। व्रती माताएं-बहनें संतान सुख, परिवार की सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए कठोर व्रत रखती हैं। स्थानीय प्रखंड प्रमुख मीरा देवी ने भी छठ का व्रत कर सूर्य को अर्घ्य दिया। प्रमुख पति राजेश पाण्डेय ने बताया कि इस बार रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। पर्व ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति दी, जहां फल, सब्जी और पूजा सामग्री की दुकानों पर रौनक रही। छठ पूजा ने बिहार की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत किया है और आने वाली पीढ़ी को परंपराओं से जोड़ा है।












