प्रधानमंत्री की सभा में दूसरी पंक्ति में बैठे पिंटू, सियासी हलकों में चर्चा तेज़ — ‘ऊपर से हुआ इशारा’ के कयास
बिहार संपादक डॉ राहुल कुमार द्विवेदी की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुक्रवार को सीतामढ़ी के हवाई अड्डा मैदान में हुई चुनावी जनसभा ने जहां एक ओर भीड़ और जोश के मामले में नया रिकॉर्ड बनाया, वहीं दूसरी ओर इस सभा से भाजपा की अंदरूनी सियासत की झलक भी सामने आ गई। जनसभा के मंच के सामने लगी वीआईपी पंक्ति में बैठने की व्यवस्था ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
सीतामढ़ी विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी और पूर्व मंत्री सुनील कुमार पिंटू को सभा के दौरान दूसरी पंक्ति में बैठा देखा गया, जबकि आम तौर पर उम्मीदवारों को प्रधानमंत्री की सभा में पहली पंक्ति में जगह दी जाती है। इस दृश्य ने स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है और लोगों के बीच सवाल उठने लगे हैं कि आखिर पिंटू को पहली कतार से पीछे क्यों किया गया?



पहली पंक्ति में थे अन्य प्रत्याशी, पिंटू को मिली दूसरी सीट
सूत्रों के अनुसार, सभा के प्रारंभिक क्षणों में सुनील कुमार पिंटू को भी पहली पंक्ति में स्थान दिया गया था। परंतु कुछ देर बाद उन्हें पीछे की पंक्ति में बैठा देखा गया। जबकि पास के जिलों—शिवहर, मधुबनी और सीतामढ़ी की अन्य विधानसभा सीटों के एनडीए उम्मीदवार—पहली पंक्ति में मौजूद थे।
इस व्यवस्था परिवर्तन को लेकर स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों में चर्चा है कि यह कोई साधारण प्रोटोकॉल नहीं बल्कि “ऊपर से आया हुआ निर्देश” था।
क्या वायरल वीडियो का असर?
कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हाल ही में भाजपा प्रत्याशी पिंटू से जुड़ा एक कथित आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। हालांकि वीडियो की सत्यता की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है और इसे लेकर स्वयं पिंटू ने साजिश की बात कही थी।
फिर भी इस विवाद ने पार्टी के भीतर असहजता जरूर पैदा कर दी थी। अब प्रधानमंत्री की सभा में पिंटू को दूसरी पंक्ति में बैठाने की घटना को उसी विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है।
जनसभा में उमड़ा जनसैलाब, लेकिन पिंटू पर सबकी निगाहें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह सभा एनडीए के लिए चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा मानी जा रही थी। सुबह से ही हवाई अड्डा मैदान में जनसैलाब उमड़ पड़ा था। भीड़ के उत्साह और ‘मोदी-मोदी’ नारों के बीच मंच के सामने बैठने वालों की पंक्तियों पर भी लोगों की नजर बनी रही।
सभा के दौरान जब कैमरों ने पहली और दूसरी पंक्ति की ओर फोकस किया, तो दर्शकों और मीडिया कर्मियों ने तुरंत नोटिस किया कि सुनील कुमार पिंटू पीछे की कतार में हैं। यह दृश्य देखते ही सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो क्लिप तेजी से वायरल होने लगीं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर
स्थानीय राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे भाजपा के भीतर संकेत की राजनीति बता रहे हैं। कुछ नेताओं का कहना है कि पार्टी नेतृत्व पिंटू के प्रति “नाराजगी का हल्का संकेत” देना चाहता है, जबकि कुछ का मत है कि यह केवल प्रोटोकॉल और सीटिंग अरेंजमेंट का मामूली मामला है।
वहीं, आम कार्यकर्ताओं के बीच अलग ही चर्चा चल रही है—“ऊपर से इशारा हुआ और पिंटू को पीछे भेज दिया गया।”
पिंटू ने नहीं दी कोई टिप्पणी
घटना के बाद मीडिया ने भाजपा प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इस विषय पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने केवल इतना कहा कि “प्रधानमंत्री जी की सभा एक ऐतिहासिक आयोजन था, जनता का समर्थन देखकर मन गर्व से भर गया है।”
पार्टी नेतृत्व ने भी साधी चुप्पी
भाजपा के जिला और प्रदेश नेतृत्व की ओर से भी अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है और फिलहाल किसी विवाद को हवा नहीं देना चाहती।
सियासी तापमान बढ़ा, विपक्ष के तेवर तीखे
उधर विपक्षी दलों ने इस घटनाक्रम को लेकर भाजपा पर तंज कसना शुरू कर दिया है। राजद और कांग्रेस नेताओं ने कहा कि “यह दृश्य इस बात का सबूत है कि भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा।”
विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि “प्रधानमंत्री की सभा में अपने ही प्रत्याशी को किनारे करना भाजपा के आंतरिक संकट को उजागर करता है।”
आगे की राह पर नज़रें
फिलहाल सीतामढ़ी की राजनीति में यह विषय चर्चा का केंद्र बन गया है। एक ओर पिंटू समर्थक इसे साजिश बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विरोधी इसे “ऊपर के इशारे” का नतीजा कह रहे हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी नेतृत्व इस पूरे प्रकरण पर क्या रुख अपनाता है — क्या यह केवल एक “सीटिंग व्यवस्था की भूल” थी या फिर किसी बड़े राजनीतिक संकेत की शुरुआत।












