बड़हरिया के सभी सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार के आम जनता का दर्द
बड़हरिया से परमानंद पांडे की रिपोर्ट
बिहार सरकार और कानून का राज के नाम पर पदाधिकारी और कर्मचारी का राज चल रहा है। पदाधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेते हुए पकड़े जा रहे है और निर्दोष होकर कोर्ट से बरी होकर पुनः नौकरी में लग जाते है। इसी दर्द को बड़हरिया के आम से लेकर खास तक की जनता अपनी दर्द बयां करते हुए नाम नहीं छापने के शर्त पर बताते है कि कैसे बड़हरिया के सभी सरकारी कार्यालयों मे अलग अलग कामों के लिए अलग रिश्वत फिक्स है। हर सरकारी कार्यालयों में दलाल भी मौजूद है। विभिन्न सरकारी कार्यालयों में चाहे वह पुलिस थाना हो या ब्लाक आफिस या आंगनबाड़ी सहित अन्य विभागीय कार्यालयों में कोई काम पड़े तो आम आदमी को चपरासी से लेकर अधिकारी तक को रिश्वत देना लाज़िम है। वरना आवेदन में कमी निकल जायेगी और अधर मे लटक जायेगा। अदना काम भी है तो कर्मचारी और पदाधिकारी लोगो को नाकों चने चबा देते हैं। थानावासियों ने यहां तक सरकार से मांग कर दिया की रिश्वत नहीं तो काम नहीं का बोर्ड लगा दें। क्योंकि सरकार अपनी सरकार बचाने के चक्कर में पदाधिकारी और कर्मचारी को रिश्वतखोरी करने की जो छूट दे रखी है। अलबत्ता सरकार हमेशा रिश्वतखोरी के खिलाफ आवाज उठाती है और जब रिश्वतखोर पदाधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े जाते है तो सरकार के मंत्री और विधायक उसे निर्दोष बताने में लग जाते है। बड़हरिया की हालत बद से बद्तर हो गई है। घूस मांगना अब शिकायत नहीं रौब हो गया है। थानावासियों के अनुसार जब भी रिश्वत खोरी में पदाधिकारी अथवा कर्मचारी पकड़े जाए तो सस्पेंड नहीं सरकार उन्हें नौकरी से बर्खास्त करते हुए अब तक का जो भी रुपया सरकार वेतन में दी है उसे वापस ले ले। रिश्वतखोरी तुरंत बंद हो जाएगी। सरकारी दफ्तरों के बाबुओं की बात और निराली है। जब तक पॉकेट में हरियाली नहीं आएगी उन्हें काम समझ में नहीं आता है। नेता गण गरीबों, दलितों आम जरूरतमंदों के हक हकूक के लिए लम्बी चौड़ी भाषण देते है। जब यही आम गरीब सरकारी दफ्तरों मे अपनी काम को कराने के लिए नेताओं के पास जाते है तो नेता छुपी साध लेते है। अब धीरे धीरे लोकतंत्र और लोक प्रशासन पर से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है। भद्रजन लोग सरकारी कार्यालयों से दूर हो रहे हैं और बिचौलियों और दलालों और ठगों का जमावड़ा सरकारी दफ्तरों में लग रहा है। लोगो का सवाल सरकार से है कि क्या बिहार में लोक प्रशासन सिर्फ घूस लेने के लिए है। लोगो की माने तो आज के मीडिया भी अपना काम पूरी ईमानदारी से नहीं कर रही है। लोगो ने मीडिया से भ्रष्ट कर्मियों और घूसखोर पदाधिकारी लोक सेवकों को बेनकाब करने की अपील किया।
बहरहाल लोगो के आरोपों में कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है। लेकिन आग लगती है तभी धुआं निकलता है। हालांकि कुछ सरकारी पदाधिकारी और कर्मी आज भी पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ जनता की सेवा कर रहे है।











