नौतन में मोंथा तूफान ने मचाई तबाही, सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद
नौतन से फिरोज अंसारी की रिपोर्ट
बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ ने नौतन प्रखंड में भयंकर तबाही मचा दी है। पिछले तीन दिनों से लगातार चल रही हवाओं के साथ झमाझम बारिश ने सैकड़ों एकड़ खड़ी धान की फसल को पूरी तरह तबाह कर दिया। न केवल धान, बल्कि नवीन फसलें जैसे सरसों, मटर और आलू भी इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गईं। किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया है, जिससे पूरे इलाके में निराशा का माहौल है।
नौतन प्रखंड के भुलौनी, नौतन, सेमरिया, गलिमापुर, मुरारपट्टी, बसदेवा, ताली, विशुनपुरा, खाप बनकट सहित दर्जनों गांवों में तूफान का असर सबसे ज्यादा देखा गया। बसदेवा निवासी किसान एवं मुरारपट्टी पंचायत के सरपंच तारा कुमार यादव ने बताया कि हमारी धान की फसल कटाई के लिए तैयार थी। अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन मोंथा तूफान ने सब कुछ उजाड़ दिया। खेतों में पानी भर गया है। फसलें सड़ रही हैं। धान से होने वाली कमाई अब मिट्टी में मिल गई। इसी तरह, सरसों और मटर की बुवाई करने वाले किसान असगर अंसारी ने शिकायत की कि लगातार हो रही बारिश से बीज सड़ रहे हैं, जबकि आलू की फसलें कीड़े लगने के कगार पर हैं। कुल मिलाकर प्रखंड क्षेत्र में लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी थी कि ‘मोंथा’ का असर बिहार के पूर्वी जिलों में रहेगा, लेकिन नौतन जैसे ग्रामीण इलाकों में तैयारी अपर्याप्त साबित हुई। बारिश से न केवल खेतों में जलजमाव हो गया, बल्कि सड़कें कीचड़युक्त हो गईं, जिससे परिवहन बाधित है। वहीं किसान संगठन जिला प्रशासन से मुआवजे की मांग भी कर रहे हैं। किसान सिंघासन यादव ने चिंता जताई कि यदि बारिश जारी रही, तो गेहूं की बुवाई भी प्रभावित होगी, जो रबी सीजन की मुख्य फसल है। यह तूफान न केवल फसलों के लिए, बल्कि पूरे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संकट बन गया है। किसान अब इस उम्मीद में आकाश की ओर देख रहे हैं कि बारिश जल्द ही धूप निकले और जीवन पटरी पर लौटे।












